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०२ सोमबार, मंसिर २०८२19th October 2025, 9:36:14 am

मधेश राजतंत्र के साथ ही होनी चाहिए

०४ सोमबार , बैशाख २०७४९ बर्ष अगाडि

    मधेश के बारे में संधि और समझदारी राजतंत्रात्मक नेपाल के साथ हुई थी । इसलिए मधेश के बारे में अंतिम बात राजतंत्र के साथ ही होनी चाहिए । यदि सत्रह हजार जानों को लेने वाले राज्य सत्ता के लिए योग्य हैं तो आधुनिक नेपाल की सबसे पुरानी संस्था के लिए नेपाल में स्थान क्यों नहीं ? मेरा निष्कर्ष है कि नेपाल में मधेशीको कमजोर करने के लिए ही ऐसा किया जा रहा है । पहले राजतंत्र को खत्म करो, फिर मधेशीको कमजोर करो, और तब भारतको दूर करो, नये गणतांत्रिक शासकों की नीति है ।
 आज प्रचंड जी का संसद में कथन पढ रही हूँ । उन्होने कहा है कि मधेशी नेपाल में अर्थात नेपाल के नहीं है । अब मधेश को नेपाल में पूरा अधिकार लेने के लिए संवैधानिक राजतंत्र के पक्ष में खडा होना होगा । मधेश के अधिकार के रास्ते में गणतंत्र ही सबसे बडा बाधक है । प्रचण्ड जी को जानकारी ही नहीं है कि आदिकाल से ह्री नेपाल सांस्कृतिक मधेश का हिस्सा है । सभ्यता के कोण से भी नेपाल मधेश का ही अंग है ।             – सरिता गिरीको फेसबुकबाट